इक राह .. मे दूर तक .. घनी घटाएं .. रंग बिरंगे फूलों से भरी है .. दूर दूर तक सभी डालियाँ .. और .. पत्ते पत्ते पर खिली हरियाली .. फूलों से ढली घेघूर घटायें .. नीले गगन से कहे हमेशा .. तेरे ही दर्पण मे मेरी कहानी .. कहे सदा ये कोई कहानी .. मीठी मधुर सी महकती शाम मे .. दूर दूर तक चली रवानी .. यहीं सरकता समय और .. सारी.. यहीं पर छुपी हुई है साजन ... . है ये सब .. यादों के ख़ज़ाने .. मे मेरी भी .. घड़ियाँ .. हर एक क्षण एक बीती .. टुकड़ों मे .. हर पत्ते पर नयी कहानी .. थमी थमी सी राहों .. में बिखरे .. फूलों के कुञ्ज से भरी डालियाँ.. भरी भरी है सभी लताएं .. भरा हुआ गगन तारों से .. चंदा भी खेलें बादलों मे.. छुपकर.. दक्षिण से उत्तर .. और.. कभी दूर तक.. सीधी राहें.. मुड़ती है रुक कर. .. नदी किनारे.. नाव अकेली.. भव सागर मे डोले नैया.. इन राहों पे चलते चलते.. हुई जो .. प्रणव प्रेम और सारी रतियाँ..