चमकता हुआ एक तारा तुटे ..
दिल से दिल तक बिखरती चमक में..
धुंधली सी बादलों में छुपी हुई ये..
मन्न मोहिनी मधुर सी..
चले है धड़कने..
हज़ारों कणो में सितारे बिखरे और..
सारे गगन को सजा उठी है..
सांसों में सरकती .. जो दिल को छूकर..
अंतर मृगजला..
है..
ये .. एक.. अति रिक्ता.. सी बैरन..
जो.. विचार विषय से परे हुआ..
जब..
प्रेम का प्रयास .. कर्ता और कारण..
मानो तो मेरा है.. यही सब साजन..
तुम्हारी यादें और खाली सी..
है.. धड़कन.. खाली खाली सा ..
साँसों का मेला..
है.. वसंत बहारों मे.. पतझर सा..
मौसम..
समय समय की अपनी है ..
गाथा.. कभी ओट तो कभी..
उमड़ती.. तरंगो का .. सागर..
जीवन है,,
अनमोल घड़ियों का दर्पण..
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