फूलों के कुञ्ज में गिलहरी .. नाचे..
डाली डाली पे भँवरा गूंजे..
मधुर महकती शाम का.. सलोना.. सुन्दर सपनो से सजा है ऐसे..
जैसे जीवन का किनारा मिलके..
लहरों से करता है बातें वो ऐसे..
तुम्ही फिर कहो तो नाव भी डोले..
मन मंदिर की मूर्ति बोले..
कुहू कहहु करती कोयलिया..
सतरंगी चित्तवन की तरंगे सारी..
धीरेसे दिल की दीवारों से सरके..
ये सुनहरे सितारों से जड़ी हुई जो..
चुनरिया धरती पर झुके तो फिर .. भी..
स्वर्णिम समय की साक्षी बनके..
रूकती है .. घड़ियां ये (सब) गिनते गिनते..
डाली डाली पे भँवरा गूंजे..
मधुर महकती शाम का.. सलोना.. सुन्दर सपनो से सजा है ऐसे..
जैसे जीवन का किनारा मिलके..
लहरों से करता है बातें वो ऐसे..
तुम्ही फिर कहो तो नाव भी डोले..
मन मंदिर की मूर्ति बोले..
कुहू कहहु करती कोयलिया..
सतरंगी चित्तवन की तरंगे सारी..
धीरेसे दिल की दीवारों से सरके..
ये सुनहरे सितारों से जड़ी हुई जो..
चुनरिया धरती पर झुके तो फिर .. भी..
स्वर्णिम समय की साक्षी बनके..
रूकती है .. घड़ियां ये (सब) गिनते गिनते..
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