सुंदर सपनो से सजा ..
हर क्षन पल्को मे छुपा ..
मेरे अनुभव से आत्म चिंतन तक..
किसी न किसी प्रहर में रहा..
इस मन का जर्जरित .. आवेदन..
और आरक्षित संरक्षण..
मेरे पद चिन्हों से जुड़ा..
हर दम .. प्रति क्षण.. इन दीवारों पे चला..
तुम्हारे मेरे प्रणय का चित्र..
है इस धरती सा गोला..
श्वाच्छोश्वाश सा धुआं..
खुले आसमान सा धुला..
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